तुमसे लागी लगन
(तर्ज: पारस प्यारा….)
तुमसे लागी लगन ले लो अपनी शरणए पारस प्याराए
मेटो मेटो जी संकट हमारा।। टेर।।
निश दिन तुमक जपूं पर से नेहा तजूंए जीवन साराए
तेरे चरणों में बीते हमारा।।
अश्वसेन के राजदुलारेए वामादेवी के सुत प्राण प्यारेए
सबसे नेहा तोडाए जग से मुँह मोडाए संयम धारा।।
इन्द्र और धरणेन्द्र भी आयेए देवी पद्मावती मंगल गायेए
आशा पूरा सदाए दुःख नहीं पावे कदा सेवक थारा।।
जग के दुःख की तो परवाह नहीं हैए स्वर्ग के सुख की भी चाह नहीं हैए
मेटा जन्म मरणए होवे ऐसा यतनए पारस प्यारा।।
लाखों बार तुम्हें शीश नमाऊँ ए जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ।
मन व्याकुल भयाए दर्शन बिना यह जिया लागे खारा।।