साहित्य प्रकाशन

सत्साहित्य मनुष्य का सच्चा मित्र है इसी बात को ध्यान में रखते हुए जैन-धर्म-दर्शन, नैतिकता सदाचार आदि को प्रचारित-प्रसारित करने हेतु संघ द्वारा सत् साहित्य प्रकाशन का कार्य प्रभावी रूप से संपादित किया जाता है। अब तक संघ द्वारा कई गथ एवं साहित्य प्रकाशित हो चुके है जिनमें प्रमुख रूप से आचार्यश्री नानेश की कालजयी कृति जिणधम्मों, आचार्यश्री नानेश के प्रवचनों का संकलन नानेशवाणी के माध्यम से भाग 1 से 52 तक किया गया है। वर्तमान आचार्य प्रवर श्री रामलालजी म.सा. के अमृतमयी प्रवचनों का संकलन भाग 1 से 24 तक एवं आगे भी गतिमान हैं श्री रामउवाच के नाम से विद्वत जगत् मे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके अतिरिक्त अनेकानेक प्रवचन साहित्य, कथा साहित्य, धारावाहिक, भजन साहित्य, जीवनी आदि संघ द्वारा प्रकाशित किये गया है। इसके अलावा आगम एवं तत्व प्रकाशन समिति के तत्वाधान में विगत कुछ वर्षों से अनेकानेक तत्वों की पुस्तकों का प्रकाशन जिसमें प्रमुख रूप से जम्बूद्वीप, स्वाध्याय माला, तत्व का ताला ज्ञान की कुंजी भाग 1 से 9, श्रावक के बारह व्रत, श्रावक के चौदह नियम, लघुदण्डक, अंतगडडशाओ आदि प्रमुख है। साहित्य आजीवन सदस्यता शुल्क 3000/- रूपये मात्र (वैधता शुल्क) है।