शैक्षणिक प्रवृत्तियाँ

धार्मिक परीक्षा बोर्ड

इसका प्रमुख उद्देश्य मुमुक्षु आत्माओं व चरित्रत्माओं में सम्यक ज्ञान की अभिवृद्धि करना है । इस परीक्षा में प्रतिवर्ष लगभग 60 मुमुक्षु एवं चरित्रात्माएँ भाग लेती हैं । इसमें सिद्धांत भूषण , कोविद , विभाकर , मनीषी, विशारद आदि अनेक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाता है ।

विद्वत् निर्माण प्रकल्प

यह योजना संघ द्वारा वर्ष 2009 में प्रारंभ की गई है। यहाँ बालकों को व्यावहारिक शिक्षा के साथ ही धार्मिक शिक्षा दी जाती है। तत्पश्चात विशेष रूप से चयनित छात्र को संस्कृत एवं प्राकृत भाषा का प्रारंभिक अध्ययन करवाया जाता है। इस प्रकल्प में 50 छात्रों के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध है।

समता बुक बैंक

महाविद्यालय स्तरीय एवं उच्च तकनीकी शिक्षा ग्रहण करने वाले जैन छात्रों को पाठ्य पुस्तकें सहज उपलब्ध कराने हेतु उदयपुर में समता बुक बैंक की स्थापना की गई है । समता बुक बैंक से कला, वाणिज्य, विज्ञान, सी. ए., सी. एस., एम.बी.ए., एमबीबीएस, आई.टी. आदि उच्च स्तरीय पाठ्यक्रम हेतु पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं । प्रतिवर्ष लगभग 300 छात्र इस बुक बैंक से लाभान्वित होते हैं । वर्तमान में पुस्तकालय में 1520 पुस्तकें हैं।

जैन संस्कार पाठ्यक्रम

बालक / बालिकाओं , युवक / युवतियों एवं श्रावक / श्राविकाओं सभी जैन धर्म का प्रारंभिक ज्ञान देते हुए उत्तरोत्तर आगम एवं तत्व ज्ञान से परिचित करने के लक्ष्य से संघ द्वारा जैन संस्कार पाठ्यक्रम परीक्षा का आयोजन विगत कई वर्षो से किया जा रहा है । संघ द्वारा इन परीक्षाओं हेतु जैन संस्कार पाठ्यक्रम पुस्तिकाएँ भाग – 1 से 12 तक प्रकाशित की जा चुकी हैं । प्रतिवर्ष लगभग 310 परीक्षा केन्द्रों पर 4000 से अधिक परीक्षार्थी भाग लेकर जैन धर्म एवं दर्शन का ज्ञान प्राप्त करते हैं

स्वाध्यायी गुणवत्ता विकास कार्यक्रम

संघनिष्ठ श्रावक – श्राविकाओं, स्वाध्यायियों एवं मुमुक्षुओं को घर बैठे पत्राचार पद्धति से जैन धर्म, दर्शन, इतिहास, आगम सम्मत धारणाओं एवं  थोकड़ों का मौलिक ज्ञान कराने के उद्देश्य से संघ द्वारा वर्ष 2008 में स्वाध्यायी गुणवत्ता विकास कार्यक्रम प्रारंभ किया गया । इस त्रि–वर्षीय पत्राचार पाठ्यक्रम के प्रत्येक सत्र में लगभग 400 परीक्षार्थी भाग लेते हैं ।

श्री गणेश जैन छात्रावास

इसकी संस्थापना शांतक्रांति के अग्रदूत स्व. आचार्य श्री गणेशलाल जी म.सा. की पुण्यस्मृति में 01 अगस्त 1964 को हुई थी । छात्रावास का प्रयोजन केवल आवासीय व भोजन सुविधा उपलब्ध कराना नहीं था, अपितु जैन समाज के छात्रों को सुसंस्कारित, धर्मानुरागी व व्यावहारिक दृष्टि से समुन्नत बनाना भी था । अब तक हजारों छात्र इसकी सुविधाओं से लाभान्वित हो चुके हैं।

आगम , अहिंसा – समता एवं प्राकृत संस्थान , उदयपुर

जैन विद्या अध्ययन के विकास के परिप्रेक्ष्य में यह एक प्रमुख प्रवृत्ति है। प्राकृत एवं जैन धर्म व संस्कृति विषयक संगोष्ठियों का आयोजन, शोधलेखों का प्रकाशन तथा ग्रंथों का अनुवाद व प्रकाशन संस्थान के सेवा कार्यों का विशिष्ट आयाम है। संस्थान का एक वृहद पुस्तकालय है जिसमें जैन, बौद्ध तथा वैदिक परंपरा से संदर्भित 8952 पुस्तकें एवं 1556 हस्तलिखित पांडुलिपियां संग्रहित हैं। संस्थान द्वारा प्राकृत व्याकरण, 3 शोध ग्रंथों एवं 10 प्रकीर्णक ग्रंथों का प्रकाशन किया जा चुका है। इनके अतिरिक्त मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग द्वारा स्वीकृत व निर्धारित पाठ्यक्रम की पुस्तकें भी संस्थान द्वारा प्रकाशित हुई हैं।

श्री गणेश ज्ञान भंडार , रतलाम

यह अप्रतिम ज्ञान भण्डार लगभग 750000 से अधिक पुस्तकों व दुर्लभ ग्रंथों से सुसज्जित है । अनेक हस्तलिखित पांडुलिपियां भी यहां संग्रहित हैं । इस केंद्र से चारित्रात्माओं , मुमुक्षुओं व स्वाध्यायियों के ज्ञानार्जन हेतु पठन – सामग्री उपलब्ध कराने का गुरुतर कार्य संपन्न होता है। भण्डार में संग्रहित व संरक्षित सभी पुस्तकों का कम्प्यूटरीकरण हो चुका है। इससे पुस्तकों के वितरण व व्यवस्थापन का कार्य सुगम व सुनियोजित हुआ है। भण्डार का संचयन जैन समाज की अनमोल धरोहर है। इस प्रवृत्ति की प्रगति, स्वाध्याय व जैन विद्या में चि उजागर करने के पुनीत प्रयासों में संघ के योगदान की गौरवगाथा है।

पूज्य आचार्य श्री श्रीलाल उच्च शिक्षा योजना

आचार्य श्री की पावन प्रेरणा से परिकल्पित एवं आपश्री की स्मृति को समर्पित यह उच्च शिक्षा योजना सर्वधर्मी मेधावी व महत्वाकांक्षी विद्यार्थियों हेतु विशेषकर जो धनाभाव के कारण उच्च शैक्षणिक सुविधाओं व अवसरों से वंचित रह जाते हैं, एक वरदान स्वरूप है। इस योजना के अंतर्गत स्नातक/ स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए प्रतिभावान विद्यार्थियों को ब्याज–मुक्त अर्थ सहयोग उपलब्ध कराया जाता है। स्वदेश एवं विदेश के मान्यता प्राप्त शिक्षण केन्द्रों में प्रवेश प्राप्ति के पश्चात् यथोचित अर्थ सहयोग प्रदत्त होता है। योजना के कार्यान्वयन व संचालन हेतु एक प्रबंधन समिति गठित हुई है ।