उत्क्रान्ति अभियान
परमपूज्य रत्नत्रय के महान आराधक परमागम रहस्यज्ञाता श्रीमद् जैनाचार्य १००८ श्री रामलाल जी म. सा. द्वारा प्रदत्त उत्क्रांति देषणा
पूरी दुनिया का सुधार हो, पूरे जैन समाज का सुधार हो, यह चाहते हैं, पर यह हमारे बस की बात शायद न हो। हम स्यवं को तो सुधार ही सकते हैं। यह तो हमारे बस की बात है। इसलिए अगर सुधार लाना है तो पहले घर से शुरू करो। घर कौनसा है? हमारा घर साधुमार्गी जैन संघ है। वह संघ जिसमे हमने साँसें ली है, ले रहे हैं। इसी में पहली बार आँखें खोली, इसका हमारे ऊपर बहुत उपकार है। इन उपकारों का वर्णन करें तो हम कभी भी इसके ऋण से उऋण नहीं हो सकते। संघ का हर सदस्य कम से कम यह सोचे कि मेरे निमित्त से साधुमार्गी संघ पर कोई अंगुली नहीं उठावे या ऐसा निर्देश नहीं करे कि यह है साधुमार्गी। निर्देश तब नहीं होगा जब दुनिया की सारी अच्छाई हमारे में होगी। लोग कहें की संघ हो तो साधुमार्गी संघ जैसा। इस प्रकार का हम लक्ष्य बनायें और संघ को ऊंचाइयों पर ले जाएँ।