जैन छात्रावास

श्री गणेश जैन छात्रावास, उदयपुर

आज का युग द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है। विज्ञान की प्रगति ने संपूर्ण राष्ट्र को एक नई ऊर्जा प्रदान की है। विज्ञान के तीव्र विकास के कारण उच्च शिक्षा में व्यापक परिवर्तन हुआ है। हमारे समाज के बालक उच्च अध्ययन हेतु अपने शहर से बाहर जाते हैं तो उन्हें छात्रावास की समस्या का सबसे पहले सामाना करना पडता है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए शांत क्रांति के जन्मदाता स्व. आचार्यश्री गणेशलालजी म.सा. की पुण्यस्मृति में उदयपुर में विशाल भूखण्ड पर श्री गणेश जैन छात्रावास की स्थापना संघ का उल्लेखनीय कार्य है। उदयपुर के सुंदरवास में स्थित भव्य, रमणीय अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त भवन में संचालित इस छात्रावास में वर्तमान में लगभग 103 छात्र अध्ययनरत हैं। छात्रावास में धार्मिक शिक्षा का अध्ययन भी करवाया जाता है। वर्तमान में छात्रावास में सामायिक हॉल का भव्य निर्माण करवाया गया है।

६० कमरे

तीन आवास के २० एवं एकाकी आवास के ४० कमरे

पुस्तकालय

जैन साहित्य सहित विभिन्न विषयों पर ख्यातनाम पुस्तकों का  संग्रह

भोजनालय

छात्रों के लिए घर जैसे खाने की
सुविधा

सहज पहुँच

उदयपुर शहर के केंद्र में

गणेश जैन ज्ञान भण्डार, रतलाम

यह अप्रतिम ज्ञान भण्डार लगभग 75000 से अधिक पुस्तकों व दुर्लभ ग्रंथों से सुसज्जित है। अनेक हस्तलिखित पाण्डुलिपियां भी यहां संग्रहित हैं। इस केंन्द्र से चारित्रात्माओं, मुमुक्षुओं व स्वाध्यायियों के ज्ञानार्जन हेतु पठन-सामग्री उपलब्ध कराने का गुरूतर कार्य संपन्न होता है। भण्डार में संग्रहित व संरक्षित सभी पुस्तकों का कम्प्यूटरीकरण हो चुका है, जिसके चलते पुस्तकों के वितरण व व्यवस्थापन का कार्य सुगम व सुनियोजित हुआ है। भण्डार का संचयन जैन समाज की अनमोल धरोहर है। इस प्रवृति की प्रगति, स्वाध्याय व जैन विद्या में रूचि उजागर करने के पुनीत प्रयासों में संघ के योगदान की गौरवगाथा है।

श्री प्रेमराज गणपतराज बोहरा धर्मपाल जैन छात्रावास, रतलाम (नानेश निकेतन)

समता विभूति आचार्यश्री नानेश द्वारा उद्बोधित धर्मपाल समाज के छात्रों की शिक्षा, आवास, भोजन आदि की समुचित व्यवस्था इस छात्रावास में विगत कई वर्षों से की जा रही है। इस छात्रावास में अध्ययनरत छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी प्रदान की जा रही है तथा छात्रावास में प्रतिदिन सामायिक आदि अनेक धार्मिक क्रियाकलाप निष्पादित होते हैं। 2009 में इस भूमि पर नानेश संस्कार सदन (छात्रावास), नानेश कुटी (वृद्धाश्रम), नानेश छाया (अनाथलाय), नानेश चिकित्सालय, नानेश वाणी, जीवन दर्शन एवं धर्मपाल संग्रहालय के प्रकल्पों का भव्य शिलान्यास किया गया।