महत्तम महोत्सव

आचार्य श्री रामेश सुवर्ण दीक्षा महामोहत्सव

प्रारंभ दिवस :  १३ जुलाई २०२२

श्रावक के 12 व्रतों में प्रत्येक पर एक- एक क्रियात्मक संकल्प का पालन

श्रावक के 12 व्रतों के सभी क्रियात्मक संकल्पों को ग्रहण करना :
श्रावक के बारह व्रत, जीवन जीने की कला सिखाते है । इनका पालन करने से जीवन में नैतिकता, सात्विकता, व्यवहार कुशलता एवं प्रमाणिकता की अभिवृद्धि होती है । इनमें से प्रत्येक व्रत के मान्य किए हुए क्रियात्मक संकल्प को अपने जीवन में धारण करना व व्रतधारी श्रावक के रुप में स्वयं के जीवन को संवारना है ।
श्रावक के 12 नियमों पर क्रियात्मक पथ संकल्प : (सभी अनिवार्य )
1. प्राणातिपात
1.1 मांसाहारी व्यक्ति के साथ एक प्लेट में भोजन नहीं करना ।
1.2 कीटनाशक/शराब/अफीम/नशीली वस्तु/मांस आदि का व्यापारी नहीं करना । ऐसे व्यापार से जुड़ी कम्पनी के शेयर नहीं लेना ।
1.3 द्वेषवश किसी की आजीविका नष्ट नहीं करना,जैसे नौकरी, भागीदारी ।
2.स्थूल मृषावाद विरमण
2.1 जमीन-जायदाद की झूठी रजिस्ट्री नहीं करवाना ।
2.2 लड़के/लड़की का कोई बड़ा दोष/रोग/दुर्गुण छिपाकर विवाह आदि नहीं करना ।
2.3 बिना पक्की जानकारी के किसी पर चोरी/व्याभिचार आदि का बड़ा आरोप नहीं लगाना ।
3. अदत्तादान
3.1 जान बूझकर चोरी का माल नहीं खरीदना ।
3.2 वस्तु में अपनी तरफ से मिलावट नहीं करना ।
3.3 दूसरा माल दिखाकर , घटिया माल को पैकिंग आदि करके नहीं देना ।
4. मैथुन
4.1 अपने घर/ऑफिस/दुकान पर अश्लील फोटो नहीं लगाना ।
4.2 परस्त्री/परपुरुष/अविवाहित से मैथुन का त्याग ।
4.3 पर्युषण महापर्व के 8 दिवस पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन ।
5. परिग्रह
5.1 पुरुषों के लिए 100 जोड़ी कपड़े/महिलाओं के लिए 200 साड़ी या ड्रेस से अधिक नहीं रखना ।
5.2 अपनी आय का 1 प्रतिशत धार्मिक कार्यों में लगाना ।
5.3 स्वयं के नाम पर एक मोबाईल से अधिक नहीं रखना ।
6. दिशाव्रत
6.1 भारत के बाहर नहीं जाना । जाना आवश्यक हो तो 5 नवकार मंत्र गिने बिना नहीं जाना ।
7. उपभोग – परिभोग
7.1 माह के 10 दिन बाजार की मिठाई व कोल्ड ड्रिंक का उपयोग नहीं करना ।
7.2 जब भी साधु-साध्वीजी का सानिध्य मिले तो सचित्त-अचित्त का ज्ञान करना ।
8. अनर्थदंड
8.1 भोजन करते समय थाली में कभी भी जुठा नहीं छोड़ना । (व्यक्तिगत रुप से)
9. सामायिक
9.1 सामायिक में सेल की घड़ी का उपयोग नहीं करना ।
10. देशावकाशिक
10.1 प्रतिदिन 3 मनोरथ का चिंतन करना ।
11. पौषध
11.1 वर्ष में एक या अधिक पौषध करना । कदाचित नहीं हो तो संवर करना ।
12. अतिथि संविभाग
12.1 साधु-साध्वी जी आहार-पानी की गवेषणा करें तो झूठ नहीं बोलना ।
~ लक्ष्य : 5000 श्रावक/श्राविका आजीवन के लिए संकल्प ग्रहण करें ।
~ रजिस्ट्रेशन प्रारंभ होने का दिनांक : 13.7.2022
~ कौन भाग ले सकते है : 18 वर्ष से अधिक के सभी श्रावक /श्राविकाएं ।

सेल की घड़ी का विकल्प उपलब्ध कराना

हमारी समस्त धार्मिक गतिविधियां निरवद्य रुप से हो सकें, इसके लिए संघ, सेल की घड़ी का विकल्प उपलब्ध करवाएगा । आप इन्हें अपनाकर धार्मिक क्रियाओं को निर्वद्य रुप से करें ।
~ लक्ष्य : सेल की घड़ी के विकल्प का प्रयोग करना ।
~ रजिस्ट्रेशन प्रारंभ होने की दिनांक : 13.7.2022
~ कौन कौन भाग ले सकता है : सभी श्रावक/श्राविकाएं
~ घड़ी की उपलब्धता : दिनांक 01.09.2022 से

श्रावक/श्राविका गोचरी विवेक संबंधी 5 प्रत्याख्यान आजीवन हेतु ग्रहण करें

संयमशील आत्मा के संयम जीवन में हम सहयोगी बनें व हमारा कोई भी कार्य भी संयमी आत्मा को दोष लगाने वाला ना हो । इस हेतु सभी को ये पांच प्रत्याख्यान आजीवन हेतु ग्रहण करने चाहिए –
1. म.सा. को पधारते देखकर घर के अंदर सूचना नहीं करना ।
2. म.सा. को पधारते देखकर गैस बंद नहीं करना ।
3. स्थानक भवन के अन्दर म.सा. को गोचरी की भावना नहीं भाना ।
4. भोजन करते समय स्वयं का मोबाईल से स्पर्श नहीं रखना ।
5. घर असूझता होने पर किसी पर क्रोध नहीं करना ।

सर्वज्ञ, सर्वदर्शी, अनंत उपकारी चरम तीर्थंकर प्रभु महावीर ने जिस तरह साधु भगवंतो को 42 दोष टालकर आहार-पानी लेने का जो नियम बताया है उसी तरह गोचरी कराने के समय श्रावकगण को ध्यान रखने योग्य बातें भी बताई है । उसमें से कुछ बिन्दु आपके ‘गोचरी विवेक’ के रुप में समक्ष रखे गए है । गोचरी संबंधी प्रत्याख्यानों द्वारा हम चारित्रत्माओं के शुद्ध संयम पालन में सहयोगी बन जाते है, जिससे हमारे कर्मो की विशेष निर्जरा होती है ।
~ लक्ष्य : 10,000 श्रावक-श्राविकाएं इस संकल्प से जुड़े ।
~ प्रोजेक्ट शुरु होने की दिनांक : 13.07.2022
~ रजिस्ट्रेशन प्रारंभ होने की दिनांक : 13.07.2022
~ कौन-कौन भाग ले सकते है : 09 वर्ष से अधिक उम्र के सभी श्रावक-श्राविकाएं ।

श्रावक से सुश्रावक बनना

परम पूज्य आचार्य भगवन् 1008 श्री रामलालजी म.सा. ने ‘श्रावक से सुश्रावक’ बनने की राह बताते हुए जनहितार्थ एक आयाम का सूत्रपात किया ।
जिसके अंतर्गत आप इन 11 बिन्दुओं का पालन करें और स्वयं को श्रावक से सुश्रावक बनाएं –
1. उत्क्रांति के नियमों की पालना ।
2. नैतिक अर्थोपार्जन ।
3. पुच्छिंसुणं एवं श्रीमद् दशवैकालिक सूत्र के 4 अध्ययन कंठस्थ करना ।
4. प्रतिमाह चार पक्की नवकारसी करना ।
5. जैन सिद्धांत बत्तीसी कंठस्थ करना ।
6. निर्दोष भिक्षा ही देने वाला श्रावक बनना ।
7. प्रतिवर्ष 12 दया/पौषध करना ।
8. सुखे समाधे प्रतिदिन सामायिक करना ।
9. श्रावक के बारह व्रतों को किसी न किसी अंश में स्वीकारने वाला श्रावक बनना ।
10. सप्त कुव्यसन का त्याग करना ।
11. प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा स्वाध्याय (शास्त्र या धार्मिक पुस्तक का पठन) करना ।
~ लक्ष्य : 3100 श्रावक / श्राविकाएं इस संकल्प से जुड़े ।
~ रजिस्ट्रेशन प्रारंभ होने की दिनांक : 13.07.2022