वीर नाम के हीरे मोती
तर्ज: प्रेम धर्म के हीरे मोती
धर्म प्रेम के हीरे मोतीए सन्त बिखेरे गली .२।
ले लो रे कोई वीर का प्याराए आवाज लगाए गली . २
वीर नाम के हीरे मोतीए सत्त बिखरे गली.गली
ले लो रे……………. (टेर)
दौलत के दीवाने सुन लोए एक दिन ऐसा आयेगा
धन दौलत और महल.खजानाए पडा यही रह जायेगा
अन्त समय कोई साथ न देगाए आखिर होगी चला चली
ले लो रे…………….
भाई.भतीजे सगे सम्बन्धीए एक दिन तुझे भुलाएगे।
आजजो कहते है हम तेरेए आग में तुझे जलाएंगेए
सुन्दर काया माटी होगीए चर्चा होगी गली.गली
ले लो रे…………….
जिसको अपना कहकर बन्धुए तू इतना इतराता है।
अन्त समय कोई साथ न देगाए तू ही अकेला जाता है।
दो दिन का यह चमन खिला हैए मुरझायेगी कली कली
ले लो रे…………….
धर्म ध्यान और त्याग तपस्याए यही साथ में जाते है।
संग तू करले साधु संत काए शास्त्र यही फरमाते है।
काल बली को भूल न जानाए सिर पर तैयार है खडी
ले लो रे…………….