बोल बोल आदेशवर वाला
म्हा स्यूं मुंडे बोल २ बोल बोल म्हारा ऋषभ
केसरीया कांई थारी मरजी रे दौ स्यूंण्ण्ण्
माता मोरा देवी वाट जोवंता इतने बधाई आई रे
आज ऋषभ जी उतरया बाग में सुण हरसाई रे
म्हा स्यूंण्ण्ण् ।। १।।
नहाय धोयने गज असवारी करी मोरा देवी
माता रे जाय बाग में नन्दण निरखी पाई
साता रे म्हा स्य मूंडे बोलए बोल २ ण्ण्ण् ।। २।।
राज छोडने निकल्यो रे रिखबो आ लीला
अद्भूती रे चमेरए छत्र और सिंहासन
मोहनी मूर्ती रे म्हा स्यूं मुंडे बोलए २ ।। ३।।
दिन भर बैठी वाट जोवंता कद मारों रिखबो आसी रे
कहती भरतने आदीनाथजी री खवरयां लयावो रे मास्यूं
कीसे देश में गंयो रे बालेसर तुज बिना वनिता सूनि रे
बात कहो दिल खोले लालजी क्यूं वणीया मुनी रे
म्हा स्यूं मुंडे बोल ।। ४।।
रया मजे में हुई सुखसाता खूब किया दिल चाया रे
अब तो बोल आदेश्वर म्हा स्यूं कलपे काया रे
म्हा स्यूं मुंडेण्ण्ण् ।। ५।।
खेर हुई सो हो गई बाला बात भली नहि कीरे
गयां पिछे कागद नहीं दिन्यों म्हारी खबरया ना लिनी रे
मां स्यूं मुंडे ।। ६।।
ओलमा मैं देऊं कठे लग पाछो क्यूं नहीं बोले रे
दुःख जननी को देख आदेश्वर हिवडो डोल रे
म्हा स्यूं मुंडे ।। ७।।
अनित्य भावना भाई ये माता निज आतम ने त्यारी रे
केवली पापी मोक्ष सिधाया ज्याने वन्दना हमारी रे
म्हा स्यूं मुंडे ।। ८।।
मुक्ति का दरवाजा खोल्या मोरा देवी माता रे
काल असंख्या रह्या उघाडया जम्बू जड गया ताला रे
म्हा स्यूं मुंडे।। ९।।
साल बहोत्तर तीर्थ ओसोयाए घेवर प्रभु गुण गाया रे
मनोहर मूर्ति प्रथम जीणदे जी की अणमू पाया रै .
महा स्यूं मुंडे बोलए बोल २
आदेश्वर वाला कोई थारी मरजी रेए म्हा स्यूंए मुंडे बोल ।। १०।।