सुबह शाम बोले गुरु राम राम
(तर्ज: छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल…)
सुबह शाम बोलो गुरु राम रामए नाम लिया सूं कटे कष्ट तमाम।
बीकाणे री धरतीए देशाणे रो लाल.२
भूरा कुल में प्रकटैं आप महान। सुबह शाम…
गंगाजल जैसा आप निर्मलए चंदा जैसा आप शीतल।
वाणी में बहावे नित अमृतधारए
सुणकर हर्षे नरनार। सुबह शाम…
नेमी के नन्दन हैए जग में महान.२
नाना गुरु से पायाए निर्मल ज्ञान। सुबह शाम…
गवरा के नन्दन हैए जग में महान.२
पाता है जग जिन सेए निर्मल ज्ञान। सुबह शाम…
जीवन है जिनका गुणों की खान.२
नरनारी सारेए करे गुणगान। सुबह शाम…
करिये कृपा अब करुणानिधान.२
भवजल से तारोए करो जगजाण। सुबह शाम…
गुरु राम गुरु राम मेरे भगवान
चरणों में अर्पित है मेरे दसप्राण।