परमपूज्य आचार्य भगवन् 1008 श्री रामलाल जी म.सा. के संयम जीवन के 50 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं । आचार्य श्री ने दीक्षा के बाद का जीवन उत्कृष्ट संयम का पालन करते हुए साधुमार्गी संघ के भव्य जीवों के उत्थान हेतु समर्पित किया है ।
गुरु के प्रति हमारा भी कुछ कर्तव्य होता है । अपने कर्तव्य को पूरा करने का हमारे लिए है खास समय । गुरु दक्षिणा अर्पित करने का है अनुपम अवसर । यह अवसर उपलब्ध करा रहा है गुरुदेव के दीक्षा के पचास वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित होनेवाला आचार्य ‘श्री रामेश सुवर्ण दीक्षा महामहोत्सव’ – ‘महत्तम महोत्सव’
महत्तम महोत्सव मतलब अपने आपको ज्ञान, दर्शन, चारित्र से पुष्ट करने का सुअवसर । अपने आपको तपाने का खास अवसर । स्वाध्याय, तप-त्याग आदि के द्वारा अपने कषायों को कम करके कर्म निर्जरा करने का सुयोग । आचार्य श्री के गुणों को जन-जन तक पहुंचाने का सुनहरा अवसर । गुरु के गुणानुवाद में लीन होने का समय ।
यह महोत्सव शुरु हो चुका है और फरवरी 2025 तक मनाया जाएगा । इस दौरान 9 तरह के कार्यक्रम सम्पन्न कर आचार्य श्री को गुरु दक्षिणा देने का छोटा सा प्रयास किया जाएगा । आप इनमें से किसी भी तरीके से जुड़कर आराध्य भगवन् को आध्यात्मिक भेंट प्रदान कर सकते हैं । जितने अधिक तरीकों से जुड़ेंगे उतना ही आपके जीवन के लिए बेहतर होगा ।
सन् 2025 तक इन्हें चरणबद्ध (Step by Step) ढंग से लागू किया जाएगा । कब, क्या और कैसे होगा , उसी की जानकारी ‘इन्द्रधनुष’ के माध्यम से दी रही है । इसमें प्रथम वर्ष (13.7.2022 से 2.2.2023 तक) के कार्यक्रमों का विवरण है । आगे के पन्नों पर आप पूरी जानकारी पाएंगे । एक-एक पन्ने पलटिए और ध्यान से पढ़िए, फिर निर्णय करिए कि आप महत्तम महोत्सव के किन बिंदुओं से जुड़कर गुरु चरणों में अपनी भेंट अर्पित कर सकते है ।
‘कर सकते हैं’ नहीं, करना ही हैं । स्वेच्छा से करना है । मन से करना है । हृदय से करना है । अपने जीवन को निर्मल बनाने के लिए करना है। मन को पावन बनाने के लिए करना है । कर्म निर्जरा के लिए करना है ।